मंगल पांडे
गुलामी से आजादी की
सर्व एकल भोर हुआ
नव हिंदू की इस धरा में
संखनाद घनघोर हुआ II1II
अधर्म की उस आंधी में
धर्म ने प्रतिकार किया
भड़क उठी सीने में अग्नि
चारो ओर विद्रोह हुआ। II2II
ज्ञान,धर्म,वेद,पुराण
वो नीति प्रखर वाला था
धर्म से वो भिक्षा धारी
कर्म से चिंगारी था । II3II
आजादी की युद्ध में
खुद को वो झकझोर दिया
भारत की मिट्टी में उसने
मुक्ति का बीज बो दिया। II4II
हुए उस बलिदान से हमने
आज सब कुछ पाया है
करो नमन उस ब्रह्म पुत्र को
आज उसका दिन आया है 2 II5II