Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Oct 2024 · 2 min read

#मंगलकामनाएं-

#मंगलकामनाएं-
★ वर्षा विगत शरद ऋतु आई।
[प्रणय प्रभात]
आज आश्विन माह के शुक्ल पक्ष का अंतिम दिवस है। तिथि है पूतम की, जिसे “शरद पूर्णिमा” कहा जाता है। इस पर्व को “शरद ऋतु” की अगवानी के तौर पर “शरद-उत्सव” के रूप में मनाया जाता है।
पैराणिक मान्यताओं के अनुसार आज चंद्रदेव अपने सबसे दिव्य स्वरूप में होते हैं। जो अपनी धवल, स्निग्ध रश्मियों के माध्यम से धरती पर अमृत-वृष्टि करते हैं। इसी धारणा के अनुसार दूध, चावल की मेवायुक्त खीर बना कर चांदनी में रखी जाती है। जो ब्रह्मकाल तक विधु-रश्मियों के प्रभाव से अमृत-तुल्य हो जाती है और आयुर्वेद के अनुसार दिव्य औषधीय गुणों से भरपूर हो जाती है। जिसे प्रातःकाल भगवान श्री हरि को नैवेद्य रूप में अर्पित कर प्रसाद रूप में ग्रहण किया जाता है। जो रोग-नाशक व आयुवर्द्धक होता है।
यह अलग बात है कि अब इस पर्व ने अपने मूल स्वरूप को खो दिया है। घरों व देवालयों में खीर का भोग लगा कर वितरित आज भी किया जाता है, किंतु इसके लिए सुबह की प्रतीक्षा नहीं की जाती। शीतल होने से पूर्व बांटी व खाई जाने वाली खीर मात्र एक प्रसाद होती है। वो भी केवल प्रतीकात्मक।
एक समय हमारे पूर्वज इस चांदनी रात सुई में धागा डाल कर अपनी नेत्र-ज्योति को बढाने का अभ्यास व प्रयास भी करते थे। जो अब भूली-बिसरी बात बन कर रह गया है। खीर को चांदनी में विराजित देव-प्रतिमाओं के समक्ष रख रात भर भजन-कीर्तन करने का समय भी श्रद्धालुओं के पास नहीं बचा है। “शरदोत्सव” के नाम पर संगीत या साहित्य की सभाएं भी अब नहीं के बराबर सजती हैं। शीतल के बजाय गर्मा-गर्म या गुनगुनी खीर खाने तक सिमटे इस पर्व को अब केवल एक परम्परा के निर्वाह के नाम पर दायित्व की इति-श्री भर माना जा सकता है।
इन परिवर्तनों के बाद भी आप सभी को “शरद पूर्णिमा” पर्व की शीतल व निर्मल मन से धवल भावयुक्त मंगलकामनाएं। प्रभु श्री चंद्रदेव सभी के हृदय व मानस के तमस व दग्धता का हरण करें। यह हमारी आत्मीय प्रार्थना है। जय श्री चंद्रनारायण।।
😊😊😊😊😊😊😊😊😊
-सम्पादक-
●न्यूज़&व्यूज़●
(मध्य-प्रदेश)

1 Like · 25 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*** मुफ़लिसी ***
*** मुफ़लिसी ***
Chunnu Lal Gupta
रक्षाबंधन....एक पर्व
रक्षाबंधन....एक पर्व
Neeraj Agarwal
उनकी आंखो मे बात अलग है
उनकी आंखो मे बात अलग है
Vansh Agarwal
गम भुलाने के और भी तरीके रखे हैं मैंने जहन में,
गम भुलाने के और भी तरीके रखे हैं मैंने जहन में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
24/237. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/237. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
इश्क़ की बात ना कर
इश्क़ की बात ना कर
Atul "Krishn"
अब्र ज़ुल्फ़ों के रुखसार  पे बिखर जाने दो।
अब्र ज़ुल्फ़ों के रुखसार पे बिखर जाने दो।
sushil sarna
दीवानी कान्हा की
दीवानी कान्हा की
rajesh Purohit
उम्मीद
उम्मीद
शेखर सिंह
जब प्रेम की अनुभूति होने लगे तब आप समझ जाना की आप सफलता के त
जब प्रेम की अनुभूति होने लगे तब आप समझ जाना की आप सफलता के त
Ravikesh Jha
*हिन्दी हमारी शान है, हिन्दी हमारा मान है*
*हिन्दी हमारी शान है, हिन्दी हमारा मान है*
Dushyant Kumar
कहानी का ऐसा किरदार होना है मुझे,
कहानी का ऐसा किरदार होना है मुझे,
पूर्वार्थ
दिल धड़क उठा
दिल धड़क उठा
अमित
हम बैठे हैं
हम बैठे हैं
हिमांशु Kulshrestha
हवा तो आज़ भी नहीं मिल रही है
हवा तो आज़ भी नहीं मिल रही है
Sonam Puneet Dubey
मेरी हैसियत
मेरी हैसियत
आर एस आघात
का है ?
का है ?
Buddha Prakash
शिवाजी
शिवाजी
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
* संस्कार *
* संस्कार *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
"पिता दिवस: एक दिन का दिखावा, 364 दिन की शिकायतें"
Dr Mukesh 'Aseemit'
पहले देखें, सोचें,पढ़ें और मनन करें तब बातें प्रतिक्रिया की ह
पहले देखें, सोचें,पढ़ें और मनन करें तब बातें प्रतिक्रिया की ह
DrLakshman Jha Parimal
14. आवारा
14. आवारा
Rajeev Dutta
अगहन कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के
अगहन कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के
Shashi kala vyas
सोलह श्राद्ध
सोलह श्राद्ध
Kavita Chouhan
" पाती जो है प्रीत की "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
सच्ची मेहनत कभी भी, बेकार नहीं जाती है
सच्ची मेहनत कभी भी, बेकार नहीं जाती है
gurudeenverma198
#लघुकविता-
#लघुकविता-
*प्रणय*
"सौगात"
Dr. Kishan tandon kranti
मेरे सब्र की इंतहां न ले !
मेरे सब्र की इंतहां न ले !
ओसमणी साहू 'ओश'
ह्रदय की पीड़ा से
ह्रदय की पीड़ा से
Dr fauzia Naseem shad
Loading...