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19 Aug 2024 · 2 min read

#मंगलकामनाएं

#मंगलकामनाएं
■ श्रावणी महापर्व “रक्षा-बंधन” की।
■ समझनी होगी पर्व की महत्ता व मूल भावना
■ न स्वार्थ-पूर्ति का माध्यम, न उपहार पर निर्भर
【प्रणय प्रभात】
पुण्य-फलदायी श्रावण माह में देवाधिदेव भगवान श्री महादेव की उपासना का सुफल है श्रावणी महापर्व “रक्षा-बंधन।” अनेक पौराणिक कथाओं को अपने में समेटे इस पर्व को जहां एक ओर भाई-बहिन के अपार नेह व अटूट सम्बन्ध का प्रतीक माना जाता रहा है। वहीं दूसरी ओर इस पर्व को द्विज (विप्र) समाज का मूल पर्व माना जाता है। जो विद्वान व यजमान के गरिमापूर्ण सम्बन्ध का द्योतक है। पर्व का तीसरा पक्ष नर और नारायण अर्थात जीव और जगदीश के मध्य आत्मीय सम्बन्ध का परिचायक है। सम्भवतः यही कारण है कि इस पर्व पर केवल बहिनें ही भाइयों की कलाइयों को नहीं सजातीं, द्विज बन्धु धर्मरक्षक यजमानों को व भक्तजन अपने आराध्य ठाकुर जी को रक्षा-सूत्र बांधते हैं। सह-अस्तित्व के भावों को रेखांकित करते हुए तमाम प्रकृति-प्रेमी इस पर्व पर वृक्षों को भी राखी बांधते हैं। बीते कुछ वर्षों से देश की सीमाओं पर तैनात सेना के जवानों को राखी भेजने व बांधने का क्रम भी एक परम्परा को प्रबल कर रहा है।
कुल मिला कर रक्षा की याचना व भावना से जुड़ा यह महान पर्व आत्मिक सम्बन्ध को सम्बल देता है। जो वर्ष प्रतिवर्ष और प्रासांगिक होता जा रहा है। हालांकि धर्म की तरह इस पर्व को भी कुत्सित राजनीति ने अपने क्षुद्र स्वार्थों की पूर्ति के लिए संक्रमित करने व हास्यास्पद बनाने का काम किया है। तथापि पर्व के मूल्य आज भी शाश्वत हैं। जो अपना संदेश सतत रूप से देने में समर्थ हैं।
स्मरण रहे कि इस पर्व का समयानुसार व्यवहार या उपहार से कोई सरोकार नहीं। यह पर्व दो-चार साल के लिए नए-नए भाई या बहिन बनाने के लिए नहीं। यह मात्र इस पर्व का उपहास और एक खेल है। जो अस्थिर-चित्त वाली युवा पीढ़ी धड़ल्ले से खेलती आ रही है। उसे इस पर्व की महत्ता व सम्बन्ध की प्रगाढ़ता समझना चाहिए।
अंततः बताना यह भी चाहता हूँ कि इस पर्व पर बांधा जाने वाला धागा मात्र प्रतीकात्मक है। फिर चाहे वो साधारण हो या कलात्मक। सूत का हो या रेशम का। वास्तविकता यह है कि यह दिवस रक्षा के संकल्प का स्मरण व नवीनीकरण है। उन सम्बन्धों की सुदृढ़ता का संदेश-वाहक, जो मूलतः किसी धागे पर निर्भर नहीं। यह पर्व उन पवित्र बंधनों के नाम है, जो आत्मा को आत्मा से जोड़ता है। एक दिन या कुछ वर्ष नहीं, जीवन भर के लिए। महापर्व की बधाई सभी को। इति शुभम।।
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●सम्पादक●
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