मंंजिल पे आके
मंजिल पे आके मंजिल से दूर हो गये
अरमान सारे दिल के चूर-चूर हो गये
पत्थरों से टकराने का माद्दा रखने वाले
इक फूल से झटके में चकनाचूर हो गये
चाहत थी कुछ करके यहाँ से जायेंगे मगर
कुछ न कर सके हाँ तमाशा जरुर हो गये
तूफांनो से लड़ हर हाल में मंजिल पाने वाले
वक्त के हाँथों किस कदर मजबूर हो गये
M.Tiwari”Ayen”