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1 Jan 2024 · 1 min read

” मँगलमय नव-वर्ष-2024 “

अब न रहे किँचित भी मन मेँ, कष्ट, ग्लानि या क्लेश,
गूंज रहा जन-जन, कण-कण मेँ, मृदुल गान सँदेश।
मिटे तिमिर-मालिन्य, रहे ना घृणा, कलुष, विद्वेष,
नव उत्थान, नवल आभा से, पूरित हो परिवेश।।

कँटक, कितने ही, पथ पर, कर रहे चुनौती पेश,
बना रहे सद्भाव सदा, कर लें, बस मेँ आवेश।
शीश भारती माँ का उन्नत, सँवरेँ सज-धज केश,
रहें कहीं भी जग मेँ, बसता, उर मेँ रहे स्वदेश।।

अमर रहे गीता-रामायण, करें अमल, उपदेश,
विजय पताका, चहुंदिश फहरे, चमके भारत देश।
“आशा” अरु विश्वास, जगे, हो कोई अपना भेष,
मँगलमय नव-वर्ष, हृदय से जय-जय श्री गणेश..!

Language: Hindi
23 Likes · 30 Comments · 853 Views
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