” मँगलमय नव-वर्ष 2023 “
नव प्रभात की, रश्मि नवल, भर दे उजास जीवन मेँ,
मन-पतँग, उड़ चले, बढ़ाती पेँग, ओज से, नभ मेँ।
मँगलमय नव-वर्ष, रहे व्यवधान न कोई पथ मेँ,
खिलकर “आशा”-पुष्प, सुरभि फैला देँ उर-उपवन मेँ..!
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नव प्रभात की, रश्मि नवल, भर दे उजास जीवन मेँ,
मन-पतँग, उड़ चले, बढ़ाती पेँग, ओज से, नभ मेँ।
मँगलमय नव-वर्ष, रहे व्यवधान न कोई पथ मेँ,
खिलकर “आशा”-पुष्प, सुरभि फैला देँ उर-उपवन मेँ..!
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