भ्राता – प्रेम
भ्रात – प्रेम
भाई भला सोचेगा तेरा ,
तेरी माँ का जाया है ।
वैरी कभी मत होना भैया,
अंत बुरा ही आया है ।
राम – लक्ष्मण हुए एक तो,
बलशाली रावण मारा है ।
बलदाऊ – कन्हैया हुए एक तो,
कंसासुर संहारा है ।
लंकेश – विीषण हुए भिन्न तो,
भाई ने भाई को मरवाया है ।
बालि – सुग्रीव एकमय – एकरूप,
विश्वास अनूठा पाक रूप था ,
सुग्रीव को अपमानित करना ,
पत्नी रखना पाप – रूप था ।
पाप का अंत करने को उसका,
भ्राता ने भ्राता मरवाया है ।
राम – लक्ष्मण, भरत – शत्रुघ्न,
हनुमत – अंगद बलशाली थे ,
यज्ञ का घोड़ा छोड़ न पायें ,
लव – कुश दोनों साथी थे ।
हुआ युद्ध योद्धा में जमकर ,
बल अपना दिखलाया है ।
भाई भला सोचेगा तेरा,
तेरी माँ का जाया है ।
कवि – सुनील नागर