भ्रष्टाचार
भ्रष्टाचार
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(१)
भ्रष्टाचार मुद्दा गंभीर चर्चा का विषय बना ,
लोगो की तरक्की और खुशहाली छीना।
विदेशी बैंकों में लाखों करोड़ के कालेधन जमा,
भ्रष्टाचार के विरुद्ध कोई सख्त कानून नहीं बना।
(२)
व्यापारियों ने दाम को दुगुना करते जा रहा ,
आम जनता को जीएसटी कहके लुटे जा रहा।
भ्रष्टाचार की आड़ में देश अगर यूं ही लुटता रहा , हमारी भावी पीढ़ी का भविष्य गर्त में डूबता रहा।
(३)
सरकारी काम को कराने के लिए रिश्वत नहीं देंगे,
जन लोकपाल कानून का समर्थन दिल से करेंगे।
आओ मिलकर भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाएंगे,
भारत देश को फिर से सोने की चिड़िया बनाएंगे।
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रचनाकार कवि डीजेन्द्र क़ुर्रे “कोहिनूर”
बसना, महासमुंद , (छ. ग.)
मो. 8120587822