#भ्रष्टाचार
#भ्रष्टाचार
#दोहे
भ्रष्टाचारी युग हुआ,लुप्त हुआ ईमान।
मिलना मुश्किल आज है,सत वादी इंसान।।
भ्रष्ट आचरण कर रहे,जिनके हाथ लगाम।
ऊँचे पद पर बैठकर,कहें भोर को शाम।।
बैच रहे ईमान सभी,धन दौलत से काम।
सुख सुविधा को खोजते,ले ले प्रभु का नाम।।
नाम बडप्पन के लिए,ठगी करें दिन रात।
जन मानस के सामने,करें धर्म की बात।।
उपदेशों में निपुण है,चाल चलन बेकार।
धन बल के आधार पर,हर मर्यादा पार।।
नियम कायदे ताक पर,ऊपर तक है तार।
साहब तक हिस्सा जुडा,सच्चा भ्रष्टाचार।।
साहब सब कुछ जानता,बनता है अनजान।
करें शिकायत कौन से,मिले जुले शैतान।।
राजेश कौरव सुमित्र