Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Jul 2017 · 4 min read

अब और नहीं यह ‘भ्रष्टाचार’ रोको इसे , मत फलने दो |

आचार भ्रष्ट, व्यवहार भ्रष्ट
भ्रष्ट सर्वस्व, भ्रष्ट आचरण
भ्रष्टता के आगे पथभ्रष्ट
मनुष्य जन सर्वप्रथम अग्रसर
रुका नहीं, ठहरा नहीं
हुआ भ्रष्ट जब आचरण
गृह खंडित, राष्ट्र विखंडित
बना बाधक हर मार्ग पर ||

किसी ने सही कहा है जब मनुष्य का आचरण भ्रष्ट होता है वह स्थिति भ्रष्टाचार का स्वरूप प्राप्त करती है |आज देश में समाज में भ्रष्टाचार व्यापक रुप में नजर आता है | हर जगह भ्रष्टाचार का बोल बाला है चाहे घर हो या बाहर भ्रष्टाचार हर क्षेत्र में दिखाई देता है | देश में व्याप्त चोरी-चकारी धर्म के नाम पर लोगों को पथभ्रमित करना,रिश्वत,
कालाबाजारी यह सभी भ्रष्टाचार के प्रारूप है | आज उच्च स्तर से लेकर निम्न स्तर तक भ्रष्टाचार पनप रहा है | पैसा देकर उच्च पद ग्रहण करना, झूठे मुकदमों का पैसे के बल पर जीत जाना, गरीब और लाचार व्यक्ति का धन के अभाव के कारण कुंठित जीवन और गलत राह पर निकल पड़ना और भ्रष्टाचार का मार्ग ग्रहण कर लेना आम बात सी हो गई है | यह कैसा दौर है नया ,सत्य स्वयं ही राह से भटक गया इंसान इंसानियत को छोड़ कर भ्रष्टाचार रूपी जहर में लिपट गया |आज की स्थिति यह हो गई है कि सबसे ज्यादा राजनीति में, सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार रूपी कीड़ा बड़ी तेजी से पनप रहा है| आज देश पर शासन करने वाला मंत्री वर्ग सबसे अधिक भ्रष्टाचार में लिप्त है| देश में जितने भी गोरखधंधे पनप रहे हैं उन का रास्ता सीधे मंत्रियों तक ही जा कर रुकता है| कहने का तात्पर्य यह है कि भ्रष्टाचार मंत्रियों से ही शुरु होकर मंत्रियों तक ही जाकर अपना पूर्ण लेता है जिसके कारण देश में अनैतिक कृत्य पनपते हैं| लूटमार, पत्थरबाजी, पैसों के दम पर किसी को मरवा देना, गलत कार्य को मान्यता प्रदान करना, भ्रष्ट लोगों का उच्च पद प्राप्त कर लेना भ्रष्टाचार को ही दर्शाता है |आज नौकरशाही पूर्णरूपेण भ्रष्ट आचरण और व्यवहार में लुप्त हो गई है या यूँ कहिए लिप्त हो गई है;जो देश की प्रगति और विकास के लिए घातक सिद्ध हो रही है |भ्रष्टाचार रूपी कीड़े को पनपने से रोका जा सकता है जरूरत है जन जागृति के जागृत होने की| आज हमें अर्थात् भारत के प्रत्येक वर्ग को प्रत्येक जन को सरकार की गलत नीतियों का बहिष्कार करना चाहिए अगर कहीं कुछ गलत होता दिखाई दे रहा है तो अपनी आवाज उठानी चाहिए अगर हम ऐसा नहीं करेंगे तो भ्रष्ट आचरण करने वालों का मनोबल बढ़ेगा और विरोध न होने की अवस्था में भ्रष्टाचारी देश की उन्नति की राह में बाधक बन देश को भ्रष्टाचार की दिशा में एक अंतविहीन मार्ग तक ले जायेंगे जहाँ से शायद वापिस आना दुष्कर होगा इसलिए इस कीड़े को पनपने से पहले ही रोकना होगा | आज के दौर में भ्रष्टाचार भारत के विकास में सबसे बड़ी बाधा के रूप सामने आया है | यह एक घुन की भांति भारत के विकास में बाधा बनता जा रहा है| भ्रष्टाचार के कारण ही कार्यालय,दफ्तरो व अन्य कार्यक्षेत्रों में चोर बाजारी, रिश्वतखोरी आदि अनैतिक कृत्य पनपते हैं|दुकानों में मिलावटी सामान बेचना, अपराधी तत्वों को रिश्वत ले कर मुक्त कर देना अथवा रिश्वत के आधार पर विभागों में भर्ती होना आदि सभी भ्रष्टाचार को दर्शाता है |देश के 100 में से 80 फ़ीसदी लोग इस तरह के कार्य करने की फिराक में रहते हैं|खेद का विषय तो यह है कि स्वयं सरकारी मंत्री करोड़ों अरबों के घोटाले करते नजर आते हैं|आधुनिक युग में व्यक्ति के प्रत्येक कार्य के पीछे स्वार्थ प्रमुख हो गया है|समाज में नैतिकता, अराजकता, स्वार्थपरकता एवं भ्रष्टाचार का बोलबाला हो गया है| कभी समाज सेवा के लिए जाना जाने वाला हमारा भारत देश आज भ्रष्टाचार की जननी बन चुका है|इसका परिणाम यह हो रहा है कि भारतीय संस्कृति तथा उसका पवित्र एवं नैतिक स्वरूप धुंधला होता जा रहा है| नौसीखिए नेता सभी प्रकार की मान-मर्यादाएँ भूलकर भ्रष्टाचार रूपी घुन से भारत की जड़ों को खोखला कर रहे हैं| हर घोटाले गोरखधंधे की पगडंडी अंततः राजनेताओं तक जाती दिखाई देती है|क्योंकि- इंसान कम बचे हैं नियत सबकी हो गई है स्पष्ट| शिकायत किससे करें जब पूरा तंत्र ही हो गया है भ्रष्ट|मेरी इस बात का समर्थन आप सभी लोग करेंगे कि आज हर व्यक्ति नैतिक और अनैतिक तरीकों से धन कमाने में लगा हुआ है| जिसके कारण भ्रष्टाचार रूपी कीड़ा पनपता जा रहा है और भारत के विकास में बाधक बनता जा रहा है|आज मनुष्य की इच्छाएँ सुरसा के मुख की भांति बढ़ती जा रही हैं जिनकी पूर्ति हेतु कोई भी व्यक्ति भ्रष्टाचार करने से नहीं कतराता उसे न किसी का भय है और न ही किसी की चिंता| धन कमाने के लिए वह हर प्रकार की सिर्फ भ्रष्ट नीतियाँ ही अपना रहा है|आज की स्थिति यह है कि उच्च अधिकारी से लेकर निम्न स्तर तक सभी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और जब तक भ्रष्टाचार से मिलने वाली आय का भारतवासी स्वयं स्वागत करते रहेंगे तब तक भ्रष्टाचार भारत के विकास में इसी तरह बाधा बनकर अपनी टांगे पसारता रहेगा|आज सभी भारतीय नागरिकों को इसे दूर करने हेतु कृतसंकल्प होने की आवश्यकता है| भ्रष्टाचार के दोषी व्यक्तियों का पूर्णरूपेण सामाजिक बहिष्कार होना चाहिए ताकि ऐसे लोगों के मनोबल को खंडित किया जा सके जिससे वह इसकी पुनरावृत्ति न कर सके| भ्रष्टाचार के विरोध में राष्ट्रीय जन-जागृति को अपनी आवाज भ्रष्टाचार के विरूध बुलंद करनी होगी| यदि हमें देश को प्रगति पथ पर ले जाना है तो हमें अपने लोभ पर विराम चिह्न लगाना होगा|भारत की सभ्यता और संस्कृति को यदि चिरकाल तक जीवित रखना है तो हमें अपने व्यक्तित्व में सुधार लाना होगा तभी हम देश के अस्तित्व पर छाए धुंधलेपन को मिटा पाएँगे और संपूर्ण विश्व में सोने की चिड़िया कहलाने वाले अपने देश भारत को प्रगति के पथ पर ले जाकर उसका मान सम्मान और भी अधिक बढ़ा कर उसे उन्नति के सर्वोच्च शिखर पर पहुँचा पाएँगे|
अपने सपने होंगे पूरे ,
दुश्मन के साकार नहीं ,
अमन चैन के दिन होंगी ,
अब होगा भ्रष्टाचार नहीं |
अब होगा भ्रष्टाचार नहीं ||

नीरू मोहन

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 944 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
🙅कड़वा सच🙅
🙅कड़वा सच🙅
*प्रणय*
Imagine you're busy with your study and work but someone wai
Imagine you're busy with your study and work but someone wai
पूर्वार्थ
प्रेम भरे कभी खत लिखते थे
प्रेम भरे कभी खत लिखते थे
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
जीवन के सच तो शब्द होते हैं।
जीवन के सच तो शब्द होते हैं।
Neeraj Agarwal
नई जैकेट , पुराने जूते
नई जैकेट , पुराने जूते
Shashi Mahajan
नहीं घुटता दम अब सिगरेटों के धुएं में,
नहीं घुटता दम अब सिगरेटों के धुएं में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
बड़े मासूम सवाल होते हैं तेरे
बड़े मासूम सवाल होते हैं तेरे
©️ दामिनी नारायण सिंह
बदनाम से
बदनाम से
विजय कुमार नामदेव
3956.💐 *पूर्णिका* 💐
3956.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
तुझसे रिश्ता
तुझसे रिश्ता
Dr fauzia Naseem shad
जो तुम्हारी ख़ामोशी से तुम्हारी तकलीफ का अंदाजा न कर सके उसक
जो तुम्हारी ख़ामोशी से तुम्हारी तकलीफ का अंदाजा न कर सके उसक
इशरत हिदायत ख़ान
*औषधि (बाल कविता)*
*औषधि (बाल कविता)*
Ravi Prakash
ग़ज़ल _ दर्द सावन के हसीं होते , सुहाती हैं बहारें !
ग़ज़ल _ दर्द सावन के हसीं होते , सुहाती हैं बहारें !
Neelofar Khan
ആരും കാത്തിരിക്കാ
ആരും കാത്തിരിക്കാ
Heera S
पाँव पर जो पाँव रख...
पाँव पर जो पाँव रख...
डॉ.सीमा अग्रवाल
"फिकर से जंग"
Dr. Kishan tandon kranti
दो घूंट
दो घूंट
संजय कुमार संजू
" हैं पलाश इठलाये "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
बैठ सम्मुख शीशे के, सखी आज ऐसा श्रृंगार करो...
बैठ सम्मुख शीशे के, सखी आज ऐसा श्रृंगार करो...
Niharika Verma
बताओ कहां से शुरू करूं,
बताओ कहां से शुरू करूं,
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
मर्द की कामयाबी के पीछे माँ के अलावा कोई दूसरी औरत नहीं होती
मर्द की कामयाबी के पीछे माँ के अलावा कोई दूसरी औरत नहीं होती
Sandeep Kumar
निरुद्देश्य जीवन भी कोई जीवन होता है ।
निरुद्देश्य जीवन भी कोई जीवन होता है ।
ओनिका सेतिया 'अनु '
मिलती बड़े नसीब से , अपने हक की धूप ।
मिलती बड़े नसीब से , अपने हक की धूप ।
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
सत्य की विजय हुई,
सत्य की विजय हुई,
Sonam Puneet Dubey
नज़र बचा कर चलते हैं वो मुझको चाहने वाले
नज़र बचा कर चलते हैं वो मुझको चाहने वाले
VINOD CHAUHAN
प्यारे बच्चे
प्यारे बच्चे
Pratibha Pandey
19, स्वतंत्रता दिवस
19, स्वतंत्रता दिवस
Dr .Shweta sood 'Madhu'
खुश रहने वाले गांव और गरीबी में खुश रह लेते हैं दुःख का रोना
खुश रहने वाले गांव और गरीबी में खुश रह लेते हैं दुःख का रोना
Ranjeet kumar patre
The destination
The destination
Bidyadhar Mantry
ये ताकत जो बक्सी तुझे कुदरत ने , नशे में न झोंको उबर जाओ भाई
ये ताकत जो बक्सी तुझे कुदरत ने , नशे में न झोंको उबर जाओ भाई
Vijay kumar Pandey
Loading...