*भ्रष्टाचार : पॉंच दोहे*
भ्रष्टाचार : पॉंच दोहे
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(1)
भेंट चढ़ी हर योजना, पेटू भ्रष्टाचार
मोटे हुए बिचौलिए, जनता है लाचार
(2)
हर दफ्तर में चल रहा, रिश्वत का ही जोर
अर्ध रात्रि से कब हुई, आजादी की भोर
(3)
वेतन कम रिश्वत अधिक, ऐसा मिला विभाग
भाग्य अभी थे सो रहे, सहसा दीखे जाग
(4)
नोट रखे तो चल पड़े, दफ्तर में सब काम
वरना फाइलें कर रहीं, बरसों से आराम
(5)
आमदनी है दोगुनी, करते आधा काम
दफ्तर कुछ सरकार के, इस कारण बदनाम
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रचयिता :रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451