भ्रम
मेरे मन मुताबिक
दिन जिन्दगी के
गुजरने लगे उसे खुशियां
मै कहने लगा ।
तमाम भौतिक
साधनो के संग्रह को
सबसे बड़ा सुख
मै कहने लगा ।
कम कोशिशो के बाद
पूरी होने लगी
हसरतें मेरी उसे मुकद्दर
मै कहने लगा ।
दो पाठ गीता के
आज पढ़ा गया कोई
हर नशवर शय को अब भ्रम
मै कहने लगा ।।
राज विग 13.09.2021