भोले की होली मसाने में
भोले की होली मसाने में, तन पर भस्म रमाने में।
शिव शंकर रे जटा बांध, लगे खुद को सजाने में।।
खेल रहे शिव गौरा संग
खिल रहा गौरी का अंग-अंग,
डम डम डम डम डमरू बाजे
भक्तन सारे हिल-मिल नाचे,
पटक-पटक माटी साने में, होली के खेल खिलाने में।
सब लगे मसान सजाने में, भोले की होली मसाने में।
भांग धतूरा औ’ ठंडाई
छुप-छुप देखे पार्वती माई,
चमक रहा माथे पर चंद्र
त्रिशूल, त्रिनेत्र, शिव नीलकंठ,
नाच रहे प्रेत मसाने में और तन पर राख लगाने में।
विषधर सोहे गलमाले में, भोले की होली मसाने में।।
केदार, सोम, कैलाश, काशी
है भाग्यशाली महाकाल वासी,
हर घाट पर रुद्र विराजे है
शिव शंकर शम्भू कहलावे है,
घूँट गरल का पाने में, भक्ति में शिव की रम जाने में।
खेलें शिव भक्त रिझाने में, भोले की होली मसाने में।।
रचयिता–
डॉ नीरजा मेहता ‘कमलिनी’