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2 Aug 2018 · 1 min read

भोर

रात छिपी जाकर चिलमन में
सूरज निकला नील गगन में

साथ भोर की लेकर डोली
किरणों से भर अपनी झोली

धरती ने भी आँखें खोली
फूलों ने भी खुशबू घोली

उपवन ने मुस्कान बिखेरी
तान कोकिला ने भी छेड़ी

अभी भोर है नई नवेली
पवन कर रही हैअठखेली

नींद तोड़ पलकों का घेरा
चली गई जो हुआ सवेरा

देख सुबह का समां निराला
मन मे छाया नया उजाला

भूलो गम की बात पुरानी
शुरू करो फिर नई कहानी

02-08-2018
डॉ अर्चना गुप्ता

1 Like · 1 Comment · 605 Views
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