भोर
चले उठे अब भोर हुई,
नयी जीवन की शोर हुई,
बिछी यहाँ ओस की बूंदें,
कुहासे की भी होड़ हुई।
फिर से जीये नयी जिंदगी,
नवजीवन की खोज हुई,
जगे हम इस मनोरम घड़ी में,
रात के बाद अब भोर हुई।
चले उठे अब भोर हुई,
नयी जीवन की शोर हुई,
बिछी यहाँ ओस की बूंदें,
कुहासे की भी होड़ हुई।
फिर से जीये नयी जिंदगी,
नवजीवन की खोज हुई,
जगे हम इस मनोरम घड़ी में,
रात के बाद अब भोर हुई।