भोर होने से पहले …
भोर होने से पहले …
वाह
कितनी अज़ीब
बात है
सौदा हो गया
महक का
गुल खिलने से
पहले
सज गयी सेजें
सौदागरों की आँखों में
शब् घिरने से
पहले
बट गया
जिस्म
टुकड़ों में
हैवानियत की
चौख़ट पर
भर गए ख़ार
गुलशन के दामन में
बहार आने से
पहले
वाह
इंसानियत के लिबास में
हैवानियत
कहकहे लगाती है
ज़िंदगी
दलालों की मंडी में
रोज मरती है
जीने से पहले
सुशील सरना