भोर हुई
अचल छंद
मात्राएँ प्रति पद- 27, वर्ण- 18
चार चरण; दो-दो पद तुकांत
2 2 1 2 2 1 2 1 1 1 2 2 1 1 2 2 2 1
भगा अँधेरा हुई सुबह जो मौन निशा का भंग,
उषा नवेली खिली गगन में भोर खगों के संग।
चली ध्वजा सी लिए नवल यूँ सौम्य किशोरी साथ,
गिरे धरा पे सनी शबनमी बूँद भिगोए हाथ।
सोनू हंस