भोर सुहानी हो गई, खिले जा रहे फूल।
भोर सुहानी हो गई, खिले जा रहे फूल।
कलियां मुस्काते हुए, खूब रही है झूल।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य
भोर सुहानी हो गई, खिले जा रहे फूल।
कलियां मुस्काते हुए, खूब रही है झूल।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य