भोर पुरानी हो गई
भोर हुई हलचल सी मची
चिड़ियां चीं – चीं करने लगीं,
पशुओं के गले की घंटी
भैंस – गाय का भौंकना,
दूधिए की टंकी की आवाज
कोयल की कु कू
पपीहे की पीहु पीहु
जंगल जाते किसान
साथ में बैलों की जोड़ी,
छुपता हुआ चंद्रमा
मंद होती तारों की जगमगाहट,
उगता हुआ सूरज
ज़मीं तक तेज गति से
पहुंचने को आतुर किरणें,
मंदिरों की घंटियां
मस्जिद की अजान
गिरिजाघरों की प्रार्थना,
स्कूल जाने को तैयार
छोटे छोटे नौनिहाल,
रोजमर्रा पर लौटते
गांव के स्त्री – पुरुष,
अब नहीं दिखाई देते
गांव की भोर में,
शायद अब भोर भी
समय के साथ बदल गई है,
जैसे आ गया है बदलाव
इंसान के व्यवहार में,
उसी तरह भोर भी बदल गई है,
शायद अब भोर पुरानी हो गई है ।