भोरे
कौन जो पूरब श्याम छितिज में,
आग लगाने आया है ।
कौन उषा के नव आँचल पर,
प्रीति सजाने आया है ।।
सजने को बेताब धरा क्यों?
यह किसके अगवानी में ।
यह क्या ? कलरव गूंज उठा क्यों,
क्या कोई शरमाया है ।।
यह क्या धर कण नव विलास ने,
अनुपम सुषमा धार लिया ।
अरुण आस अगनित तृन तन तन
शबनम सज श्रृंगार किया ।।
कलरव करुण कुंज कन कनिका
अरुणिम प्रभा निहार रही ।
आने वाला कौन उषा में
अम्बर कौन सजाया है ।।