Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Jul 2024 · 1 min read

*भोजन की स्वच्छ रसोई हो, भोजन शुचि हाथों से आए (राधेश्यामी छ

भोजन की स्वच्छ रसोई हो, भोजन शुचि हाथों से आए (राधेश्यामी छंद)
———————
भोजन की स्वच्छ रसोई हो, भोजन शुचि हाथों से आए
सर्वदा अहिंसा-बोध रहे, जिह्वा जो भी चखने जाए
हो कभी दाल रोटी चावल, तो कभी परॉंठे वाली हो
हर बार दही की प्याली हो, शाकाहारी हर थाली हो

रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर ,उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

72 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
मैं घमंडी नहीं हूँ ना कभी घमंड किया हमने
मैं घमंडी नहीं हूँ ना कभी घमंड किया हमने
Dr. Man Mohan Krishna
4445.*पूर्णिका*
4445.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बताओगे कैसे, जताओगे कैसे
बताओगे कैसे, जताओगे कैसे
Shweta Soni
ये जो आँखों का पानी है बड़ा खानदानी है
ये जो आँखों का पानी है बड़ा खानदानी है
कवि दीपक बवेजा
कभी मोहब्बत के लिए मरता नहीं था
कभी मोहब्बत के लिए मरता नहीं था
Rituraj shivem verma
इश्क चख लिया था गलती से
इश्क चख लिया था गलती से
हिमांशु Kulshrestha
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मिथक से ए आई तक
मिथक से ए आई तक
Shashi Mahajan
कोई भी मोटिवेशनल गुरू
कोई भी मोटिवेशनल गुरू
ruby kumari
When winter hugs
When winter hugs
Bidyadhar Mantry
ज़िन्दगी
ज़िन्दगी
Santosh Shrivastava
उस रब की इबादत का
उस रब की इबादत का
Dr fauzia Naseem shad
*प्यार का रिश्ता*
*प्यार का रिश्ता*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
तुम छा जाते मेरे दिलों में एक एक काली घटा के वाई फाई जैसे।
तुम छा जाते मेरे दिलों में एक एक काली घटा के वाई फाई जैसे।
Rj Anand Prajapati
यही मेरे दिल में ख्याल चल रहा है तुम मुझसे ख़फ़ा हो या मैं खुद
यही मेरे दिल में ख्याल चल रहा है तुम मुझसे ख़फ़ा हो या मैं खुद
Ravi Betulwala
हो सकता है कि अपनी खुशी के लिए कभी कभी कुछ प्राप्त करने की ज
हो सकता है कि अपनी खुशी के लिए कभी कभी कुछ प्राप्त करने की ज
Paras Nath Jha
तुम्हें पता है तुझमें मुझमें क्या फर्क है।
तुम्हें पता है तुझमें मुझमें क्या फर्क है।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
"मंजिल"
Dr. Kishan tandon kranti
सोलह आने सच...
सोलह आने सच...
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
जलते हुए चूल्हों को कब तक अकेले देखेंगे हम,
जलते हुए चूल्हों को कब तक अकेले देखेंगे हम,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कुछ अजूबे गुण होते हैं इंसान में प्रकृति प्रदत्त,
कुछ अजूबे गुण होते हैं इंसान में प्रकृति प्रदत्त,
Ajit Kumar "Karn"
🙅सावधान🙅
🙅सावधान🙅
*प्रणय*
अकेले मिलना कि भले नहीं मिलना।
अकेले मिलना कि भले नहीं मिलना।
डॉ० रोहित कौशिक
सरस्वती वंदना
सरस्वती वंदना
Satya Prakash Sharma
सहारे
सहारे
Kanchan Khanna
स्त्री नख से शिख तक सुन्दर होती है...
स्त्री नख से शिख तक सुन्दर होती है...
पूर्वार्थ
*सब देशों को अपना निर्मम, हुक्म सुनाता अमरीका (हिंदी गजल)*
*सब देशों को अपना निर्मम, हुक्म सुनाता अमरीका (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
ग़ज़ल _ नहीं भूल पाए , ख़तरनाक मंज़र।
ग़ज़ल _ नहीं भूल पाए , ख़तरनाक मंज़र।
Neelofar Khan
आसमान में गूँजता,
आसमान में गूँजता,
sushil sarna
जय हो कल्याणी माँ 🙏
जय हो कल्याणी माँ 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
Loading...