*भोजन की स्वच्छ रसोई हो, भोजन शुचि हाथों से आए (राधेश्यामी छ
भोजन की स्वच्छ रसोई हो, भोजन शुचि हाथों से आए (राधेश्यामी छंद)
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भोजन की स्वच्छ रसोई हो, भोजन शुचि हाथों से आए
सर्वदा अहिंसा-बोध रहे, जिह्वा जो भी चखने जाए
हो कभी दाल रोटी चावल, तो कभी परॉंठे वाली हो
हर बार दही की प्याली हो, शाकाहारी हर थाली हो
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर ,उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451