भोजन अपने हाथ का
भोजन अपने हाथ का, देता बहुत सुकून।
बन जाता भोजन सदा, होना एक जुनून।।
भोजन अपने हाथ का, खाकर रहें निरोग।
रूखा सूखा भी लगे, जैसे छप्पन भोग।।
भोजन अपने हाथ का, देता स्वाद अपार।
बाहर का खाना करें, तन में बहुत विकार।।
गोल रोटी के लिए, करता रोज प्रयास।
मिली सफलता जब किया, बहुत बार अभ्यास।।
सबको होना चाहिए, भोजन का यह ज्ञान।
जीवन के किस मोड़ पर, जरूरत पड़े आन।।
भूखे पेट पड़े नहीं, सोना हमको रोज।
आओ रोटी सीख ले, सभी करेंगे मौज।।