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13 Oct 2024 · 1 min read

भोग पिपासा बढ़ गई,

भोग पिपासा बढ़ गई,
बंध हुए निर्बंध ।
प्रेम दुर्ग में वासना,
की फैली दुर्गंध ।।

सुशील सरना/13-10-24

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