भोंट हमरे टा देब (हास्य कथा)
भींसरे भींसरे भोगींदर भैया हमरा कान मे भनभनाइत बजलै जे यौ किशन भाई एकटा गप कहू? त हम्मे हुनका किचकिचाबे लै बोललियौ जे अहाँ बोलू की चुप रहू? हम्मे त लोटा लके बिदा होल छियौ. ताबे भोगींदर भैया तमाकुल चुनबैत बजलै धू जी महराज अहूँ के हरदम झारा जोर केने रहैयैए कनि काल सटका के राइख लेब त कि हेतै? हम्मे हुनका कहलियौ जे हो भैया हम्मे की तोरा जेंका नेता छियै जे बलू भोंट मंगै दुआरे धारा सेहो सटका के राइख लेबै? हम्मे त पत्रकार छियौ तैं हमरा सब काज जल्दीए करै पड़ैए. आ इहे स त झारा सेहो खूब जोर केने रहै छौ. सुत उठ के अपन जल्दीए फ्रेस हो गेली. ई बात सुन उ बोललकौ अच्छा थमहूँ.