भैयादूज
**** भैया-दूज (गीत) ****
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भैया-दूज का पर्व निराला है,
बहन को भाई बहुत प्यारा है।
चाँद-सूरज अमर होते जैसे,
बहन-भाई सकुशल रहें वैसे,
भ्राता तो आँखों का तारा है।
बहन को भाई बहुत प्यारा है।
थाली को वो खूब सजाती है,
माथे पर वो तिलक लगाती है,
प्रेम का ये अजब उपराला है।
बहन को भाई बहुत प्यारा है।
बहन तो भाईयों का गहना है,
बड़ों का भी यही तो कहना है,
सफर भी हो जाता सुहाना है।
बहन को भाई बहुत प्यारा है।
देहली खड़ी राह ताकती है,
स्नेह भरा वो प्यार बांटती है,
बाबुल के घर का वो राजा है।
बहन को भाई बहुत प्यारा है।
प्यार का यह अटूट बन्धन है,
रिश्तों का हो जाता मन्थन है।
बाप के बाद भाई सहारा है।
बहन को भाई बहुत प्यारा है।
मनसीरत भी बहनो का भाई,
बहन कभी होती नहीं पराई,
भैया – दूज केवल बहाना है।
बहन को भाई बहुत प्यारा है।
भैया-दूज का पर्व निराला है,
बहन को भाई बहुत प्यारा है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)