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12 Oct 2020 · 1 min read

भैंस के आगे बीन

आरज़ू दिल की’ सबको बतानी पड़ी
बीन भैंसों के’ आगे बजानी पड़ी

डर रहे हैं गले आज मिलते हुए
ईद भी अब अकेले मनानी पड़ी

बात निकली कभी तो पराई हुई
इस सबब ही ज़ुबां अब दबानी पड़ी

आज फिर फोन उसने मुझे कर दिया
बुझ चुकी आग फिर से जलानी पड़ी

दुश्मनी पर उतर आया’ सारा जहान
दिल लगाने की’ क़ीमत चुकानी पड़ी

ज़िन्दगी में मरे हैं कई बार हम
दोस्ती कुछ हमें यूं निभानी पड़ी

4 Likes · 4 Comments · 282 Views
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