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22 Nov 2016 · 1 min read

भेड़ियों के सम्मुख टिका दिया माथ

भेड़ियों के सम्मुख टिका दिया माथ

रेल की पटरियों सा
हो गया जीवन
कुछ पाने के लिए
हम भटकते रहे
अर्थ लाभ के लिए
बर्फ से गलते रहे
सुख की कामना में
जर्जर हो गया तन
स्वाभिमान भी रख
गिरवीं नागोँ के हाथ
भेड़ियों के सम्मुख
टिका दिया माथ 
इस तरह होता रहा
अपना रोज चीरहरन
रेल की पटरियों सा
हो गया जीवन

Language: Hindi
Tag: गीत
3 Comments · 586 Views
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