भेड़चाल
भेड़चाल
जीवन सहजता से बीत रहा था ।सभी कुछ समयाधुसार और अनुशासित ।पर आज अचानक अपमान की बूंदों ने स्वरा का असलियत से सामना करा दिया। आज कालेज में युवाउत्सव के दौरान फैशन प्रतियोगिता थी ।स्वरा ने कामिनी के कहने पर आधुनिक विदेशी युवती का किरदार चुना और उसी के कहने पर शॉर्ट ड्रेस पहनने को भी तैयार हो गयी।कामिनी ने वह ड्रेस लाने की जिम्मेदारी ली क्यों कि स्वरा के यहाँ ऐसे वस्त्र न तो पहने जाते थे और न ही समर्थन होता था। वैसे भी स्वरा कामिनी के उजले रंग रुप और मेकअप करने के तरीके से प्रभावित थी। पर उसकी चालाकियों को कभी समझ न पाई।कामिनी हर समय किसी न किसी को टारगेट बनाती थी और मजाक बनाती थी।बात खुलने पर इनोसेंट बन जाती। इस बार उसके निशाने पर स्वरा थी क्यों कि प्रोफेसर्स व अन्य विद्यार्थियों की नज़र में स्वरा एक आदर्श लड़की थी।
सुबह से ही स्वरा घबरा तो रही थी पर कामिनी ने उसे बहुत ही होशियारी से सँभाला हुआ था।कामिनी की खास सहेलियाँ भी उसके साथ थी।
मंच से एनाउंस हुआ और स्वरा शॉर्ट ड्रेस के साथ भड़कीले मेकप में हाई हील सेंडल के साथ मंच पर आई। ओवर आत्मविश्वास से भरी ,स्वयं को कामिनी जैसा महसूस करती वह दो कदम चली ही थी कि लड़खड़ा के गिर गयी। हँसीं का जोरदार फव्वारा सभाकक्ष में गूंज उठा। जैसे तैसे स्वयं को सँभाल उसने उठने की कोशिश की ही थी कि चर्ररचर्र की आवाज सुन वह घबरा गयी। शॉर्ट टॉप की बैक साइड से सिलाई उधड़ गयी थी। शर्म के कारण वह न उठ पा रही थी न चल पा रही थी। हँसी रुकने का नाम न ले रही थी। तभी उसकी सहेली उमा ने आकर जल्दी से अपनी चुन्नी उसे ओढ़ायी और पर्दा खींच दिया।
“स्वरा,ये क्या बेवकूफी की तूने। तू तो मीरा का किरदार निभाने वाली थी न।”
स्वरा की निगाहें जबाव में कामिनी की ओर उठ गयीं। कामिनी अपनी खास सहेलियों के साथ हँसी से दोहरी हुई जा रही थी।
“बड़ी होशियार और आदर्शवादी बनती थी..हुंह।”स्वरा व उमा दोनों के ही कानों में कामिनी के शब्द पड़े।तभी कामिनी को अपने कमरे में लगी वह पेंटिंग याद आई जो पापा ने गिफ्ट की थी ..”बेटा यह भेड़ों की तस्वीर एक सबक है। अपने आदर्शों पर सीधे चलोगी तो कभी न गिर सकोगी।जैसे अगर एक भेड़ गिरती है तो सभी बिना सोचे समझे उसके पीछे गिरती चली जातीं हैं।इसे ही भेड़चाल कहते हैं।”
स्वरा फफक कर रो रही थी पर पश्चाताप के साथ एक निर्णय भी था उसकी आँखों में ।
मनोरमा जैन पाखी