Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Dec 2023 · 1 min read

भेदभाव का कोढ़

कलमकार ने जाति का,लिया दुशाला ओढ़ ।
इसीलिए बढ़ता गया, . भेदभाव का कोढ़ ।।
रमेश शर्मा.

Language: Hindi
1 Like · 147 Views

You may also like these posts

तिरछी निगाहे
तिरछी निगाहे
Santosh kumar Miri
कैसे बदला जायेगा वो माहौल
कैसे बदला जायेगा वो माहौल
Keshav kishor Kumar
सफ़र जो खुद से मिला दे।
सफ़र जो खुद से मिला दे।
Rekha khichi
किस बात की चिंता
किस बात की चिंता
Anamika Tiwari 'annpurna '
4409.*पूर्णिका*
4409.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
शीशे को इतना भी कमजोर समझने की भूल मत करना,
शीशे को इतना भी कमजोर समझने की भूल मत करना,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
आजादी का उत्सव
आजादी का उत्सव
Rambali Mishra
#भक्तिपर्व-
#भक्तिपर्व-
*प्रणय*
सूरज ढल रहा हैं।
सूरज ढल रहा हैं।
Neeraj Agarwal
कौन उठाये मेरी नाकामयाबी का जिम्मा..!!
कौन उठाये मेरी नाकामयाबी का जिम्मा..!!
Ravi Betulwala
कभी किसी की किसी से खूब बनती है,
कभी किसी की किसी से खूब बनती है,
Ajit Kumar "Karn"
शिक्षक है  जो  ज्ञान -दीप  से  तम  को  दूर  करे
शिक्षक है जो ज्ञान -दीप से तम को दूर करे
Anil Mishra Prahari
मील का पत्थर
मील का पत्थर
Nitin Kulkarni
दामन जिंदगी का थामे
दामन जिंदगी का थामे
Chitra Bisht
Jeevan ka saar
Jeevan ka saar
Tushar Jagawat
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
बेटियाँ
बेटियाँ
Shweta Soni
"प्रश्न-शेष"
Dr. Kishan tandon kranti
*सत्य की आवाज़*
*सत्य की आवाज़*
Dr. Vaishali Verma
हिन्दू एकता
हिन्दू एकता
विजय कुमार अग्रवाल
हर हाल मे,जिंदा ये रवायत रखना।
हर हाल मे,जिंदा ये रवायत रखना।
पूर्वार्थ
खेत का सांड
खेत का सांड
आनन्द मिश्र
अधर्म पर धर्म की विजय: आज के संदर्भ में एक विचारशील दृष्टिकोण
अधर्म पर धर्म की विजय: आज के संदर्भ में एक विचारशील दृष्टिकोण
Dr Nisha Agrawal
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
श्वासें राधा हुईं प्राण कान्हा हुआ।
श्वासें राधा हुईं प्राण कान्हा हुआ।
Neelam Sharma
कोहरे की घनी चादर तले, कुछ सपनों की गर्माहट है।
कोहरे की घनी चादर तले, कुछ सपनों की गर्माहट है।
Manisha Manjari
दूरी
दूरी
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
"" *पेड़ों की पुकार* ""
सुनीलानंद महंत
लापता सिर्फ़ लेडीज नहीं, हम मर्द भी रहे हैं। हम भी खो गए हैं
लापता सिर्फ़ लेडीज नहीं, हम मर्द भी रहे हैं। हम भी खो गए हैं
Rituraj shivem verma
"स्थानांतरण"
Khajan Singh Nain
Loading...