भूल न जाना बचपन की गलियां
भूल न जाना इन गलियों को
जिन में बीता है बचपन
छोड़ रहे हो साथ हमारा
क्या जी पाएंगे तुम बिन
भूल न जाना………….
इन गलियों की धूल में सन कर
हम खिले हैं फूल बनकर
यूं डाली से टूट न जाओ
बिखर न जाओ आज तुम
भूल न जाना……………।
बचपन की वो मधुर सुहानी
यादों का अब क्या होगा
खेल तमाशे जो दिखलाए
मिलकर के हम दोनों ने
भूल सकोगे क्या तुम उनको
भूल सकेंगे क्या सब हम
भूल न जाना…….……।
दूर जाने से अच्छा होता
लौट चलें फिर बचपन में
तुम खो जाओ फिर से मुझमें
मैं खो जाऊं फिर तुझमें
छोड़ के सारे महल चौबारे
एक घरौंदा बना ले हम
भूल न जाना…………….