भूल था मेरा
दिनांक :- 04/03/2021
दिवस :- वृहस्पतिवार
विषय :- भूल था मेरा
क्या रंग तेरी है ,
तेरी संग तेरी
सहेली है ।
खेल भी तू
मेरे साथ ही खेली है ।
कुछ अलग
बात ही मेरी है ।
इसलिए अलग हूँ ,
अपने में बिंदास लगभग हूँ ।
शायद भूल था मेरा ,
इसीलिए थे अकेला ।
अब आयी है मेरी बग़ियों
में सबेरा ,
बता क्या औकात है तेरा ।।
तुझे तो मैं सकता हूँ ख़रीद ,
पर अपना कुछ कर दिखाने का है ज़िद ।
इसलिए लोक- कल्याण के लिए जी रहा हूँ
ये हैं हमारी जीने का विध ,
मेरी क़ामयाबी से जल रही हो
पता न उस दिन क्या होगा ?
जिस दिन मैं हो जाऊंगा प्रसिद्ध ।।
✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :- 6290640716, कविता :- 19(25)