भूल चूका हूँ सब कुछ बाबा- भजन -अरविंद भारद्वाज
भूल चूका हूँ सब कुछ बाबा
भूल चूका हूँ सब कुछ बाबा, याद तेरी बस आई
श्याम तेरे दरबार में आकर, भक्त नें जोत जलाई ।
ठोकर खाकर दर-दर मैने, खुद को आज संभाला
भक्ति भाव हैं कमजोरी मुझे, सबने घर से निकाला
वैर- द्वेष नहीं मन में मेरे, मूर्त तेरी समाई
श्याम तेरे दरबार में आकर, भक्त नें जोत जलाई ।
धन-दौलत की चाह नहीं थी, तुझ में ध्यान लगाया
श्याम तेरी भक्ति की खातिर, मैने जीवन पाया
रटते- रटते नाम तेरा मैंने , तेरी महिमा गाई
श्याम तेरे दरबार में आकर, भक्त नें जोत जलाई ।
हारे का बाबा तू सहारा , नैया पार लगा देना
बिछड़े मेरे अपने मुझसे, उनको फिर से मिला देना
अरविन्द लिखता कलम से अपनी,महिमा जिसकी छाई
श्याम तेरे दरबार में आकर, भक्त नें जोत जलाई ।
© अरविन्द भारद्वाज