भूली यादों से फिर आशना कर लिया।
भूली यादों से फिर आशना कर लिया।
तेरे घर की गली को पता कर लिया।
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वो अमानत किसी की,खयानत न कर।
देखकर सोचता हूं यह क्या कर लिया।
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तेरी रुसवाईयां ना ज़माने में हो।
सोच कर खुद को ही बेवफा कर लिया।
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याद तेरी मुझे जब सताने लगी।
अपने रब से बस रो कर दुआ कर लिया।
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डॉक्टर सगीर अहमद सिद्दीकी
खैरा बाज़ार बहराइच यूपी