भूली-बिसरी यादें
#भूली बिसरी यादे
अंदर मेरे वो लहरें उठती, सीना फोड कलेजा चिरती।
कुछ तीखी कुछ मीठी, बिते दिनों की ये यादे।।
नाना नानी मामा मामी के यहां छुट्टियों में रवानी।
गर्मियों के छुट्टियों में मस्त ननिहाल की ये यादे।।
वो छाता लेकर बारिश में घूमना, घर से माँ चिल्लाती।
दोस्तों संग, बारिश के दिनों की प्यारी ये यादे।।
नदियों में खुला दोस्तों के साथ, नहाते हुए मस्ती।
थंडे पानी का बिंदास पल, बिते दिनों की ये यादे।।
बचपन की शरारत मस्ती, घर बाहर कहर उठाती।
गुरु जी पिताजी की छडी, बिते दिनों की ये यादे।।
कच्ची उम्र का पहला प्रेम, मै खत फेकता वो उठाती।
कोई देखे ना डर लगता, बिते दिनों की ये यादे।।
कच्चा प्रेम दसवीं कक्षा तक, दोस्ती पढ़ने की फिकर दिलाती।
हम पास हुये वो मेरिट में, बिते दिनों की ये यादे।।
काॅलेज के दिन आये, फिर छा गई हममें बेमिसाल मस्ती।
सामने से क्या लड़की गुजरी, बिते दिनों की ये यादे।।
सुरु हुआ सिलसिला, हम लाईन मारते वो ना देती।
एक दिन उसे भी हुआ प्यार, बिते दिनों की ये यादे।।
किस्मत मिलाती दो दिलों को, फिर किस्मत ही जुदा करती।
कई रंगों के सपने थे, बिते दिनों की ये यादे।।
ना हम उससे मिलते, ना वो कभी हमसे मिलती।
ना गम के आंसू होते, बिते दिनों की ये यादे।।
जान से प्यारा कोई चला जाता, ये यादे कलेजा चिरती।
वर्तमान ये खराब करती, बिते दिनों की ये यादे।।
बिते झगड़े लफडे शिकवे बाते, हमारी वर्तमान जिंदगी है भूलती।
पर यादे कभी नहीं यादे, बिते दिनों की ये यादे।।
अंदर मेरे वो लहरें उठती, सीना फोड कलेजा चिरती।
कुछ तीखी कुछ मीठी, बिते दिनों की ये यादे।।
स्वरचित मौलिक – कृष्णा वाघमारे, जालना, महाराष्ट्र.