” भूला ना पाई “
एक शाम अचानक बारिश आई ,
बूंदे मुझे छू भी ना पाई ।
तेरे संग बिताए हर लम्हे की याद आई ,
मै खङी रही और मेरी रुह तुझसे मिल आई ।।
लाख कोशिशो को बारिश ने धूल मे मिलाई ,
इस बारिश ने तेरी याद बार बार दिलाई ।
रिश्तो की देकर दुहाई,
तेरे दीदार की हुई मनाई ।।
जब किसी ने दी तन्हाई ,
तेरी याद हर पल आई ।
तेरी खुशियों के लिए मैंने चुप्पी होंठो पर सजाई ,
ये आंखे कुछ ना छुपा पाई ।।
– ज्योति