*भूमिका*
भूमिका
बच्चे भगवान का रुप होते हैं। उनका हृदय कोमल और निश्छल होता है। वे सीधे-साधे, सच्चे और निष्कपट होते हैं। उनकी कविताओं में भी यही भाव प्रकट होने चाहिए। जितनी कृत्रिमता हम बच्चों की कविताओं में लाऍंगे, वह बच्चों की नैसर्गिक प्रवृत्ति से दूर होती चली जाऍंगी। सहज भाव में जो रच गया, वही बाल कविता है ।
ऐसा नहीं है कि बच्चों को कुछ सिखाने की आवश्यकता नहीं होती है। कविताओं के द्वारा भी बच्चे बहुत कुछ सीखते हैं। हमें उन्हें सिखाना भी चाहिए और बच्चों को सीखना भी चाहिए। इसलिए बच्चों को कविताओं के द्वारा कुछ सिखा देने का प्रयास गलत नहीं होता।
बच्चों के लिए यह जो कविताऍं मैंने लिखी हैं, वह बच्चों की कविताओं की कसौटी पर उनके लिए कितनी सही सिद्ध होती है, यह तो बच्चे ही बताऍंगे। बच्चों के अभिभावक और गुरुजन भी इस पुस्तक को पढ़कर इन की उपादेयता के बारे में राय बना सकते हैं।
बच्चों की कविताऍं केवल बच्चों के लिए ही हों, यह आवश्यक नहीं है। युवा और वृद्ध भी यदि इन कविताओं को पढ़ेंगे, तो उन्हें आनंद आएगा। उनका ज्ञान बढ़ेगा। सबसे अच्छी बात है कि वह इन कविताओं को पढ़कर अपने बचपन में पहुॅंच जाऍंगे। सब कुछ बनना सरल है, लेकिन हृदय में बालपन को उत्साह से साथ सजीव कर लेना सबसे कठिन है । हम सब सदा बच्चे बने रहें, ईश्वर से इसी प्रार्थना के साथ यह बाल कविताओं का संग्रह ‘चटकू मटकू’ लोक को अर्पित है।
रवि प्रकाश पुत्र श्री राम प्रकाश सर्राफ, बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451
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raviprakashsarraf@gmail.com
दिनांक 9 जनवरी 2024