भूत प्रेत का भय भ्रम
भूत प्रेत का भ्रम भय –
जेठ की तेज दोपहरी तेज लू गांव शहर सभी स्कूलों में ग्रीष्म अवकाश नंदू अपने आठ भाईयों में सातवें नंबर पर था छः उससे बड़े एव सिर्फ एक उससे छोटा भाई संयुक्त परिवार नंदू को सभी नैह स्नेह प्यार देते लेकिन कभी कभी नंदू की जिद से परेशान हो जाते।
नंदू का गांव नदी के किनारे है गंव नदी के एव बाग बगीचे से हरा भरा था दोपहरी में नंदू जब घर के सभी लोग तेज गर्मी से राहत पाने के लिए जैसे तैसे आराम फरमा रहे थे क्योकि न तो बिजली थी गांव में ना ही पंखा ए सी ।
नंदू बिना किसी से बताये घर से निकला और अकेले नंगे पैर बगीचे कि तरफ़ चल पड़ा गर्म रेत पर जलते पैरों से पेपरवाह नंदू बागीचे में एक गूलर के पेड़ पर चढ़ गया और गूलर खाने लगा।
कुछ देर गूलर खाने के बाद ही वह जाने कैसे गूलर के पेड़ से नीचे गिरा उस समय नंदू से दूर दूर तक कोई चिड़िया चुरूग नही था।
नंदू पेड़ से गिरते ही बेहोश हो गया कुछ देर बाद उसे अपने आप होश आया तब उसे अपने वीराने में गर्म रेत पर होने का एहसास हुआ वह उठा और जाने क्या अनाप संनाप बोलते हुए घर की तरफ भगा जब वह घर पहुंचा घर वालों ने नंदू की दशा देखकर कहने लगे इसे भूत प्रेत ने पकड़ लिया है क्योंकि दोपहर में अक्सर भूत प्रेत निकलते हैं।
झाड़ फूंक करने लगे नंदू का बदन बहुत तेज गरम था झाड़ फूंक से कोई फायदा होता नजर नही आ रहा था ।
दूसरे दिन जब डॉक्टर को घर वालों ने बताया कि कल नंदू दोपहर में बागीचे गया था तब से उसकी हालत खराब है डॉक्टर को समझते देर ही नही लगी कि मामला लू लगने का है जो अभी भी नियंत्रित करने की स्थिति में है।
डॉक्टर ने दवाएं दी और नंदू दो तीन दिन में ठिक हो गया डॉक्टर ने कहा भूत प्रेत भी आत्मा एव देव अंश है वह हानि कदाचित ही करते या यूं कहें भूत प्रेत कल्पना है वास्तविकता नही।।
नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश।।