भूतों के अस्तित्व पर सवाल ..
पहले कभी सुना था ,
और पुरानी फिल्मों में देखा था ,
दुखी और अतृप्त आत्माएं ,
बदला लेती है अपने दुश्मनों से ,
अपने साथ हुए अन्याय और हत्या का।
मगर यह क्या ! यह कैसा घोर कलयुग है ,
मृत आत्माएं भी निर्बल हो गई ,
अपने साथ हो रहे घोर अपराध पर संज्ञा शून्य हो गई
क्यों नहीं लेती अब बदला अपने साथ ,
हो रहे अन्याय का ।
बलात्कार कर नृशंस हत्या कर ,
शरीर के ३५ टुकड़े कर कचरे की तरह ,इधर
उधर फेंकने पर भी ।
शातिर अपराधी के सबूत नष्ट करने पर ,
खामोश रह जाती है ।
क्यों ? उस राक्षस के सामने आकर अपना ,
प्रचंड और भयावह रूप नहीं दिखाती ?
क्यों अपनी लंबी लंबी ताकतवर भुजाएं
बढ़ाकर अपने दुश्मन का गला नही दबाती ?
क्यों ! उसका सर धड़ से अलग नहीं करती ।
आखिर क्यों ?
यह आत्माएं इतनी बेबस हो गई है ।
आत्मा हो गिरिजा टिक्कू की ,
या निर्भया की ,
गुड़िया की ,
या श्रद्धा की ,
और भी कई दुखी ,पीड़ित आत्माएं ।
जो हुए भयंकर जुल्म और निर्मम हत्या की शिकार ।
आखिर क्यों बेबस है ?
भूत बनकर बदला क्यों नहीं लेती अपने साथ हुए
अन्याय का ?
अगर कसम से वोह अपनी शक्ति पहचान लें ,
तो इन दानवों का अंत हो जाए ।
मगर दानव हैं ।ना !
इंसान नही। ।
और आज के दानवों से तो भगवान भी डरते हैं ।
जब वही कुछ चमत्कार नहीं दिखा रहे तो ,
इन बेबस और अतृप्त मृत आत्माओं का हाल कुछ मत पूछो ।
बेचारी मृत आत्माएं !!
कभी कभी मन में सवाल आता है,
क्या वास्तव में भूत कहे जाने वाली मृत आत्माओं का
कोई अस्तित्व होता भी है या नही !
या यह सिर्फ कपोल कल्पना है या फिर
कमजोर इंसानों को डराने का साधन ।