भूतिया बॉर्डर (हॉरर कहानी)
बॉर्डर पर भूत (Orginally published in Hinglish year 2013)
कहा जाता है कि अगर कर्म अच्छे हों और नियत साफ़ रहे, तो इंसान खुश रहता है। यह बात बताते समय लोग भूल जाते हैं कि इंसान अपने कर्म और नियत को संभाल सकता है पर अगर दूसरे की नियत में खोट है, तो अच्छे इंसान पर भी मुसीबत आ सकती है। यह बात केवल इंसान पर ही नहीं बल्कि देश पर भी लागू होती है। जब देश की नीतियां सख्त नहीं होती तो एक समय के बाद उसे अंदर और बाहर से लालची घटकों का बिना बात का विरोध झेलना पड़ता है। विरोध की यह आग कब गलत आहुतियों से विकराल रूप ले ले पता नहीं चलता।
यार्क और रेज़ध पड़ोसी देशों के बीच तनाव एक बार फिर जंग में तब्दील हो गया था। यार्क के मुकाबले रेज़ध हमेशा से कमजोर रहा था और अब तक हुई कुछ लड़ाइयों में यार्क देश ने इस बात का फायदा उठाकर रेज़ध की काफी ज़मीन हड़प ली थी। यार्क पर 40 सालों से एक तानाशाह स्वामली का राज था, जो अपना राज बढ़ाने के लिए कोई भी रास्ता अपनाने के लिए तैयार रहता था। इन चार दशकों में सिर्फ रेज़ध ही नहीं, अपने आस-पास के कुछ देशों से भी यार्क देश के रिश्ते तल्ख ही रहे थे। अगर आप यार्क के पड़ोसी देश के शासक हैं, तो हर समय हमला होने की चिंता सताती रहेगी। यार्क ने फितरत के मुताबिक एक बार फिर रेज़ध पर हमला कर दिया था।
ब्रिगेडियर एडम कास्त्रो के नेतृत्व में रेज़ध सेना की बड़ी टुकड़ी महत्वपूर्ण मोर्चे पर डटी हुई थी। अपने सैनिकों में से एक का अजीब बर्ताव देख एडम बिफर पड़े।
“आखिर तुम्हें हो क्या गया है डी-1 (गैरी)। ड्रिल्स में तुम बेस्ट परफॉर्म करते थे, बट तुम्हारे चेहरे पर यह चिंता और शरीर में इतनी हरकतें क्यों हो रही हैं? क्या असली दुश्मन के सामने तुम्हारे हौसले पस्त हो गए हैं? लगता है तुम बातों और प्रैक्टिस के शेर को बस।”
“सर, मेरी पैंट में कुछ घुस गया है जो नीचे से काटना शुरू करते हुए धीरे-धीरे ऊपर की तरफ बढ़ रहा है। दर्द की इंटेंसिटी से लग रहा है कि वो रेगिस्तान की बड़ी मकड़ी ग्रे विडो है। मुझे डर है कि अगर वो ऊपर आ गई तो उसका काटना इतना घातक हो सकता है कि मेरी पर्सनेलिटी एम्प्यूटेट हो जाएगी, सर!”
“डी-1, तुम बंकर से ऊपर हुए तो तुम्हारी खोपड़ी उड़ जाएगी। जान प्यारी है या पर्सनेलिटी? वैसे अभी मकड़ी की लोकेशन क्या है?”
“सर वह बेस के पास पहुँच गई है। मैं और नहीं रुक सकता…।”
डी-1 सोल्जर उछला और तुरंत दुश्मन स्नाइपर की गोली चली।
फ्लैंग…।
ब्रिगेडियर एडम – “ये कैसी आवाज थी। जैसे कोई घंटा बजा हो। डी-1, तुम्हें गोली लगी है?”
सोल्जर डी-1 – “आह… हाँ, सर! बेस को छूकर गई है।”
ब्रिगेडियर एडम – “ओह नो! डी-1 की पर्सनेलिटी गई।”
सोल्जर डी-1 – “सर, बस स्किन गई है थोड़ी! पर खतरनाक मकड़ी भी गोली से उड़ गई है।”
ब्रिगेडियर एडम – “ब्लेसिंग इन डिस्गाइज़ डी-1! फर्स्ट ऐड करके वापस बंकर पर लगो। पैंट ढंग से झाड़कर आना इस बार।”
रेज़ध की सेना कई मोर्चों पर नाकाम हो रही थी। उनकी बनाई गई नीतियाँ कोई जासूस या सेना का अधिकारी लीक कर रहा था।
कुछ देर में दो दर्जन सैनिकों और कुछ घायलों की मामूली टुकड़ी के साथ, मेजर जनरल गैरी कास्त्रो(जो एडम का बड़ा भाई था), एडम की लोकेशन पर पहुँचा। गैरी के कंधे पर गोली लगी थी। अपने भाई और सीनियर ऑफिसर की ये दशा देख एडम का मनोबल टूट गया।
युद्ध से पहले जहां दोनों में देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज़्बा आगे की स्थिति सोचने नहीं दे रहा था वहीं अब वह स्थिति सामने आने पर दोनों अंदर से टूट गए थे। दोनों भाई इस तरह मिलने से भावुक थे क्योंकि रेज़ध की स्थिति बेहद कमजोर थी, उन्हें अंदाजा हो गया था कि यह शायद उनकी आखिरी मुलाकात होगी। पर उनके सैनिकों का मनोबल न टूटे इसलिए दोनों फ़ौजी औपचारिक रूप से और आवाज़ में जोश के साथ ही बातें कर रहे थे।
गैरी – “हमारी फ़ोर्सेस इस रीजन में सिमटती जा रही हैं। अगर ऐसा जारी रहा तो दुश्मन एयरफोर्स को हमारी आर्मी को खत्म करने का मौका मिल जाएगा, जो पहले से ही गिनती में दुश्मन के मुकाबले काफी कम है। मेरे पास बस इतने ही सैनिक बचे थे इसीलिए मैं तुम्हारी लोकेशन पर आ गया जहाँ हमारी संख्या लड़ने लायक है।”
आगे की रणनीति बनाने के लिए, एडम और गैरी अपने कमांड चैम्बर मे गए। दोनों को समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर युद्ध से पहले और युद्ध के दौरान बनाई गई महत्वपूर्ण योजनाएं लीक कौन कर रहा था? इतना तो तय था की सिमटती सेना के चुनिंदा बड़े अधिकारियों में से कोई एक या ज़्यादा अफ़सर दुश्मन देश से मिले हुए हैं।
रणनीति पर बात करते हुए दोनों नक़्शे को देख रहे थे। कुछ देर बाद।
गैरी – “मेजर, बटालियन को डिग्री एपिसेंटर पर भेजें। पर्पल हेरोन्स रीएनफोर्समेंट(जनरल’स रेजिमेंट) की ट्रिब्यूटरी बनाने का ऑर्डर दो। मेजर… मेजर!”
ट्रान्समिशन सिस्टम्स को संभाल रहा मेजर एकटक सिस्टम स्क्रीन को निहार रहा था और उसके मुँह से झाग निकल रहे थे।
एडम(चेक करने के बाद) – “मेजर तो मरने की कगार पर हैं सर! शायद यही सारी इन्फॉर्मेशन लीक कर रहा था। जिसने साइनाइड लिया है।”
गैरी – “पर अचानक साइनाइड खाने की क्या नौबत आ गई इसको?”
एडम – “…क्योंकि इसने अपना काम कर दिया है। बॉर्डर के पास लगी कुछ मिसाइल इसने हमारी सेना के हेडक्वार्टर और प्रेजिडेंट के गुप्त निवास (जो सिर्फ हमें पता है) जैसे महत्वपूर्ण ठिकानों पर छोड़ने के कोड्स डाल दिए हैं। सब खत्म हो गया है सर। बस ये बेस और कुछ यूनिट बची हैं, मेजर रेजिमेंट के अलावा। यह मरते हुए स्क्रीन पर कुछ इशारा कर गया है।”
मेजर जनरल गैरी ने आपा खो दिया और अपनी पिस्टल से मरे हुए मेजर पर गोलियाँ चला दीं।
गैरी – “सुअर की पैदाइश! ब्रिगेडियर के अलावा सब खाली कर दो ये कंट्रोल रूम और पोजीशन लो।”
सबके जाने के बाद।
गैरी – “बची यूनिट्स और मेजर रेजिमेंट को साउथ-वेस्ट में सेफ पॉइंट्स जाने के कोड्स दो। लगता है ये इलाका भी यार्क के हाथ आ जाएगा। पर इतनी जल्दी मुझे हार नहीं माननी…।”
एडम ने निर्देशों का पालन करते हुए यूनिट और मेजर रेजिमेंट को बताए कोड्स दिए।
गैरी – “एडम, मेरे भाई! मैं तुझे मरते हुए नहीं देख सकता। तू निकल जाए यहाँ से। मैंने भाभी और तेरे लिए पैसों और पड़ोसी देश व्रज़िया में रहने का इंतजाम कर दिया है। मेरी चिंता मत कर, भाग जा मेरे भाई! मेरे परिवार को साथ ले जाना..उनका ख्याल रखना।
■■■
गैरी हारकर बैठ गया। एडम ने अपने बड़े भाई की आँखों में बचपन के उस दिन के बाद पहली बार आँसू देखे थे, जब उनके पिता कर्नल जॉन कास्त्रो, 32 साल पहले यार्क से जंग के लिए रवाना हो रहे थे। 8 साल के गैरी और 5 साल के एडम ने उन्हें रोकने के लिए कुर्सी, मेज़, तकियों, गद्दों की दीवार बना दी थी, ताकि उनके पापा रुक जाए।
एडम – “मत जाओ न पापा! देखो मम्मा तो कुछ बोल भी नहीं रही है। बस अपने कमरे में रो रही हैं कल रात से। आज की तरह गैरी भइया रोज आपके लिए ब्रेड मून का ब्रेकफ़ास्ट बना देंगे। मत जाओ पापा, प्लीज!”
गैरी – “पापा, आप जब कहोगे मैं पढूँगा! मम्मा की हेल्प करूँगा। मत जाओ न आप।”
वह तकियों, गद्दों से बनी दीवार आज जॉन को दुश्मन की रेजिमेंट से भारी लग रही थी। पर वह दिन भी आज की तरह क्रूर था। उस दिन भी रेज़ध की हालत कमजोर थी और हार निश्चित थी। जॉन बच्चों के गले लगा रहा।
अपनी बीवी मार्था और बच्चों से जॉन बेइंतहा प्यार करता था। वह बच्चों का बचपन देखना चाहता था, अपने परिवार के साथ समय बिताना चाहता था, उन्हें दुनिया की हर खुशी देना चाहता था। मार्था से माफी मांगना चाहता था और एक बार खुल कर रोना चाहता था। अक्सर किस्मत एक काम के लिए कई सालों का समय देती है जबकि कभी कई अहम काम कुछ पलों की सोच में धुआं हो जाते हैं।
मार्था ने रात से खुद को कमरे में बंद कर रखा था और सिसकियों की आवाजें लगातार आ रही थीं उसमें जॉन को विदा करने की हिम्मत नहीं थी। हालांकि, उसने जॉन को पहले भी विदा किया था पर अपने पति को आखिरी बार विदा करने की हिम्मत शायद दुनिया की किसी पत्नी में नहीं होती। जॉन ने मास्टर की से अब तक बंद दरवाज़ा खोला और बच्चों को बाहर कर फिर से दरवाज़ा बंद कर लिया।
गैरी और एडम को अंदर से रोते अपने माता-पिता की आवाजें आ रही थीं। उनके नन्हें दिमाग यह कल्पना नहीं कर पा रहे थे कि आखिर बात क्या है? माँ तो कभी-कभार रो दिया करती थीं पर बच्चों के लिए अपने पिता को रोते हुए सुनना कुछ अजीब था।
दोनों के सपनों में रोते हुए अपने माता-पिता की वे आवाज़ें अक्सर गूँजती थीं। अक्सर करवटों और नींद के बीच यादों का वह बंद दरवाज़ा उन्हें परेशान करता था।
आखिरकार जॉन के साथ मार्था बाहर आई। अब दोनों चुप थे पर एक-दूसरे को एकटक देखे जा रहे थे जैसे आँखों से जिंदगी भर की बातों का हिसाब कुछ पलों में निपटा दें। आँखों की भाषा बड़ी तेज़ होती है और छलिया भी! यूं ही झूठी मुस्कान के साथ झूठे वायदे दे दिया करती है।
गैरी और एडम ने आखिरी कोशिश की। पापा ने दोनों को अपनी गोद में उठाकर झूठा दिलासा दिया ताकि वे निकल सके। जॉन दोनों को देखकर सोच रहा था कि इनका भविष्य क्या होगा? बड़े होकर ये क्या बनेंगे? काश इन सवालों के जवाब उसको पता होते।
“मैं वापस आऊंगा मेरे बच्चों।”
रेज़ध जंग हार गया और जॉन उस रात ही अपने देश के लिए शहीद हो गए। मार्था ने बच्चों की परवरिश की, उन्हें काबिल बनाया। पर अंदर ही अंदर वो गम से खोखली होती गई। अक्सर दरवाजे पर उसको जॉन के लौटने का इंतजार रहता। झूठा ही सही वायदा तो किया था जॉन ने! समय बीतने के साथ गैरी के फ़ौज में जाने के तीन साल बाद एडम भी आर्मी में लेफ्टिनेंट बना, मार्था को जैसे लाइसेंस मिल गया। उसने फिर से वह दरवाजा बंद कर लिया और जब गैरी और एडम ने वह दरवाजा खोला तो अपनी माँ की लाश लटकी पाई।
मार्था ने जॉन से अपने बच्चों की परवरिश कर काबिल बनाने का आँखों में किया वायदा पूरा किया था। शायद अब जॉन से मिलने के लिए, वह और नहीं रुक सकती थी।
■■■
“Dd13-Dd13”
तभी दोनों को वायरलेस संदेश मिला।
“सर, हमें काफी संख्या में सैनिक रीएनफोर्समेंट में आते दिख रहे हैं। पर कई संदेशों और वार्निंग के बाद भी वे दुश्मन की तरफ खुले मैदान में बढ़े जा रहे हैं। इससे वे रेंज में आने पर, आसानी से उनके टारगेट बन जायेंगे।”
गैरी – “अब ये कहाँ से आ गए?”
एडम – “ये रिज़र्व फोर्सेज होंगी सर! जो अब सबसे बड़ी कमांड के सपोर्ट के लिए बढ़ रही होंगी।”
वायरलेस के मैसेज से पता चला कि रेज़ध आर्मी की बाकी यूनिट्स और मेजर रेजिमेंट, बॉर्डर के पास दूसरे इलाकों में पहुँच रही हैं।”
गैरी – “नहीं! कैसे हो गया यह सब? अब कौन गद्दार बचा रह गया? हम दोनों ने उन्हें सुरक्षित रखने के लिए अलग लोकेशन कोआर्डिनेट्स दिए थे।
एडम (गैरी पर गन तानते हुए) – “कोआर्डिनेट्स मैंने बदले थे भइया, ताकि हमारी बची यूनिट्स सुरक्षित रहें और आपके द्वारा दुश्मन को चिन्हित किये सेफ पॉइंट्स पर जाकर मारे न जाएं।”
गैरी – “तूने? पर क्यों भाई?”
एडम – “नाटक मत करो भइया, शक तो मुझे आपके यहाँ आने पर ही हो गया था। आपकी लोकेशन ऐसी नहीं थी जो यार्क का आपकी इतनी बड़ी यूनिट पर ऐसा हमला होता कि बस कुछ जवान बचते। दुश्मन की रेंज बॉर्डर और आस-पास के इलाकों में है, देश के इतने अंदर नहीं जहाँ आप लोगों की गुप्त लोकेशन थी। एक बात और, मिसाइल चलाने के गुप्त लोकेशन के कोड्स मेजर रैंक के ऑपरेटर के पास नहीं होते। हाँ, उससे बड़े ऑफिसर के पास होते हैं। आपने ही मेजर को साइनाइड की सिरिंज लगाई… कोड्स देने के तुरंत बाद, ताकि वह कुछ समझ न पाए। मरने से पहले उसकी उँगली अपने क्यूबन सिगार की तरफ थी। फिडल कास्त्रो…कास्त्रो यानी…गैरी कास्त्रो…कास्त्रो…।”
गैरी – “अब तू सब समझ ही गया है तो भाई, तू नाटक मत कर और सच्चाई को देख। यार्क इस बार कोई इलाका नहीं बल्कि पूरा रेज़ध हड़पने के लिए बढ़ रहा है। आगे तेरा परिवार है, हम दोनों को जीना है। मैं अपने बच्चों को वैसे नहीं छोड़ सकता जैसे पापा हमें छोड़ गए थे। एक झूठ के सहारे। मैंने पापा का बहुत इंतजार किया पर फिर दिल को मनाया कि पापा का वह झूठ मैं अपने परिवार से नहीं दोहराऊँगा, चाहे देश से गद्दारी करनी पड़े। दोनों देशों में फिर से तनाव के बाद, यार्क का तानाशाह स्वामली, रेज़ध आर्मी के ऐसे बड़े ऑफिसर्स की ताक में था जो उससे मिल जाएं। मुझे पता था कि इस बार भी हार निश्चित है, इसलिए ये रास्ता चुना।
एडम – “भइया, देश के कई परिवारों और अनगिनत वायदे पूरे रहे इसलिए फौजी अक्सर अपने परिवार और वायदे अधूरे छोड़ देते हैं। पापा से मैंने यह बात सीखी है पर शायद आपने नहीं। माफ करना भइया, देश से गद्दारी करने के जुर्म में मैं आपको बंदी बना रहा हूँ।”
गैरी ने असावधान एडम को एक वार में चित्त कर उसकी गन उससे दूर कर दी और मरे हुए मेजर की एलएमजी एडम पर तान दी।
गैरी – “मुझे पता था कि तू नहीं मानेगा। मुझे यहाँ से जल्दी निकलना है, नहीं तो यार्क एयरफोर्स के हमले में मारा जाऊँगा। तूने और तेरी वतनपरस्ती ने पहले ही मेरा बहुत समय बर्बाद कर दिया है। तुझे मारने से पहले तुझे ये तसल्ली दे दूँ कि तेरे परिवार को मैं सहारा दूँगा। माफ कर दे एडम, अलविदा!”
गैरी ने ट्रिगर दबा दिया। एडम ने कहीं पढ़ा था कि मौत से पहले हर चीज़ धीमी गति से होती है और आँखों के सामने अपना जीवन घूम जाता है।
उसकी तरफ बढ़ती गोलियों की रफ्तार तो धीमी हो गई थी पर उसकी आँखों के सामने उसका जीवन नहीं घुमा, यानी अभी मौत नहीं आयी थी। पर कुछ पलों तक खड़े रहने के बाद उसको लगा कि गोलियाँ वाकई हवा में रुक गई हैं। गैरी भी अवाक खड़ा, एडम के पीछे कुछ देख रहा था। एडम को अपने कंधे पर एक हाथ महसूस हुआ। उस कमरे में दोनों के अलावा कौन था? सब तो गैरी के ऑर्डर पर बाहर चले गए थे। क्या मेजर जिंदा था? उसने पलटकर देखा तो चौंककर जमीन पर ही बैठ गया। यह कैसे हो सकता है…
“मैंने कहा था न बच्चों, मैं वापस आऊँगा।”
जॉन कास्त्रो की जीती जागती लाश, अपनी फौजी वर्दी में बंदूक लिए खड़ी थी। एडम और गैरी की धुँधली यादें जैसे ताज़ा हो गईं।
“… और गैरी, मैंने झूठ नहीं बोला था।”
इतना कहकर जॉन ने गैरी पर गोलियाँ चला दीं और गैरी मर गया।
“वो रीएनफोर्समेंट फ़ोर्स नहीं एडम, यार्क से हुई पहले की जंगों में मारे गए सैनिक हैं जो पूरे रेज़ध पर संकट देखकर दोबारा आये हैं।
अब कमान एडम ने संभाल ली। मुर्दा-ज़िंदा सैनिकों की संख्या रेज़ध में ज्यादा थी पर एडम छुपकर बचाव के पक्ष में था। लेकिन मुर्दे सैनिक किसी आदेश का पालन नहीं कर रहे थे। वे सब पुरानी राइफल्स, रिवॉल्वर्स लिए बढ़े जा रहे थे। यहाँ तक कि उसके पिता जॉन ने भी उससे विदा ली। एडम उन्हीं पाँच साल के बच्चे-सी नजरों से जॉन को देख रहा था।
जॉन – “बेटा, तू बड़ा हो गया है अब, गोद में नहीं उठा सकता। गले मिलकर काम चला ले, हा हा हा।”
एडम मुस्कुराया और जॉन ने उससे वैसे ही आँखों में सदियों की बातें कर दी जो कभी जाते वक्त उसने मार्था से की थी। यह भी उस पुराने दिन वाली घड़ी आन पड़ी थी जब काम ज़्यादा थे और पल गिने-चुने। फिर भी एडम को इस बात की तसल्ली थी कि अपने पिता की धुंधली हो रही यादों में ये कुछ अनमोल पल और जुड़ गए थे।
कुछ समय यार्क ने अपनी तरफ बढ़ते सैनिकों की गतिविधि का जायज़ा लिया और फिर जिसका डर था वही हुआ। यार्क की एयरफ़ोर्स ने मैदानों में बढ़ रहे मुर्दे सैनिकों पर बम बरसाए। मैदान धुएँ से भर गया। एडम को यकीन था कि सबके चिथड़े उड़ गए होंगे…पर जब धुआँ छँटा तो नजारा बेहद भयानक था क्योंकि कटे पैर, बिना सिर के धड़, क्षतिग्रस्त हाथ, यहाँ तक कि अलग हुई आँखें भी यार्क की सीमा और उसके सैनिकों की तरफ बढ़ रही थी। यह नज़ारा तो मोर्चे पर बचे रेज़ध के सैनिकों की भी साँसें रोक रहा था।
जल्द ही मुर्दों ने यार्क के सैनिकों पर पार पा लिया। पर फिर भी सभी मुर्दा शरीर क्षत-विक्षत हालत में बढ़ते जा रहे थे। पता नहीं क्या थी उनकी मंजिल। वे सभी हर बाधा को पार कर और हजारों किलोमीटर का सफर तय करके पहुँचे उस बंकर तक जहाँ यार्क का शासक स्वामली छुपा हुआ था। मुर्दे ज़मीन में समा गए और भूमिगत बंकर के नीचे से निकले। स्वामली और उसके बड़े ऑफिसर्स को बहुत बुरी मौत के घाट उतारा गया। अगले दिन सीमारेखा के निशान 32 साल पहले वाले थे और रेज़ध को अपनी खोई हुई ज़मीन और सम्मान वापस मिल गया था। एडम ने अपने बच्चों से वापस लौटने का वायदा निभाया और गैरी का परिवार भी अपना लिया।
■■■