भूचाल
कुछ वर्षों पूर्व
किसी का घर
तहस नहस हुआ था।
परिवार समेत
किसी की सोच से
बिचारा दब गया था।।
आज जागा है
बरसों के बाद
नींद में है अभी भी।
बस आने वाला है
गरजेगा संभलना
आने वाला है वो पल कभी भी।।
आराम से धीरे से
मलबे की चादर
हट रही है ऊपर से।
अंगड़ाई लेगा जब
भूकंप विशाल आएगा
भूत उतरेगा सर से।।
हर हर महादेव
ॐ नमः शिवाय
गूंज रहा चारों और।
काशी वाला आ गया
काशी वाला आ गया
धूम मचा रहा चहूँ और।।