‘भूख’
चौठ का चाँद
आज गगन में आया है
कुछ कहे दूषित हो तुम
कुछ ने ढेला फेंक के मारा है
मैं तो हूँ मिथिला की बेटी
कैसे कहूँ, आज तू नही हमारा है
कल भी तू सखा था मेरा
आज भी तू हमारा है…
…सिद्धार्थ
२.
कौन समझाये उन्हें
‘भूख’
हर ‘धरम’ से है ऊपर
जिस ‘धरम’ को
रानीति करे ऊसर…
…सिद्धार्थ