भूख से जो तड़प रही होगी
भूख से जो तड़प रही होगी
हां, वही तो वो ज़िंदगी होगी।
शे’र है कुछ जदीद पर मेरे
फिर ग़ज़ल और शाइरी होगी।
आप बातें बहर कि करते है
कुछ ग़ज़ालो कि तिश्नगी होगी।
इश्क़, ग़म, दर्द, ज़ख्म सब कुछ है
वक़्त-बे-वक़्त ख़ुद-ख़ुशी होगी।
ज़िंदगी ग़र मिली कहीं जो तुम
हाल कहने कि बे-बसी होगी।
मार कर जा रहा है वो क़ातिल
चक्षु में तस्वीर तो बनी होगी।
कश्मकश है शिवांश दिल में कुछ
हर ग़ज़ल पर मुक़र्ररी होगी।