” भूख और बादाम “
“अरे मुनिया चल । यहाँ क्यों खड़ी है ?”–झुनकी बोली ।
मुनिया –“सेठ कुछ बांट रहा है । शायद कोई खुशी की बात होगी ।”
दुकान के सामने हथेली फैलाये मुनिया भी खड़ी धी ।
एक मुट्ठी बादाम उसकी हधेली में सेठ ने रख दिया ।
झुनकी ने भी मांग लिया ।
झुनकी मुँह बनाती हुई ( मुनिया से ) –“अरे हट इससे क्या पेट भरेगा अपना ।”
मुनिया–“पेट क्यों नहीं भरेगा ? चल मेरे साथ ।”
बादाम लेकर मुनिया आगे चलने लगी और एक होटल के पास आकर –“ऐ काका जी, ये बादाम लेलो और इसके बदले में रोटी सब्जी दे दो ।”
–पूनम झा
कोटा राजस्थान 26-09-17