भूखे नंगे
वो बन्दा ही तारीफ के काबिल है …
खरोच कर बदन को जिस ने औज़र कर लिया
मेहनत के भट्ठी में खुद को आफताब कर लिया
लिखने वाले लिखते हैं, लिखते ही रहेंगे
खिलने वाले लोगों ने
ईंट पत्थर को भी छू कर गुलनार कर दिया
बड़ी बे अदब सी ये रंगी दुनियां है ऎ दोस्त
मेहनत कश को भूखा, दलालों को साहूकार कर दिया
जब मुफलिसी उठ कर शोर मचाएगी
वही लोग कहेंगे भूखे नंगों ने कोहराम कर दिया ।
~ सिद्धार्थ