प्रेम का पहला निवाला
माँ तेरी बूढ़ी हो गई तो,
उसको घर से निकाला ।
क्या तुम उसका भुल गया,
वो प्रेम का पहला निवाला ।।
जिसने तुझको जन्म दिया है,
क्यों उसका भूल गया तू कर्म ।
अब तेरे जैसे बेटों के चलते,
श्रवण को भी लगता है शर्म ।।
तेरी हाथों को, पकड़ के जिसने,
तुझको चलना सिखाया ।
तुमने उसे आज, अपने हाथों से,
कैसा दिन दिखाया ।।
जरा सी चोट लगने पर,
तुम्हें सीने से लगायी ।
उसी हाथों से, माँ ने आज,
इतनी थप्पड़ क्यों खायी ।।
माँ ने तुझको बेटा समझके,
बहुत ही प्यार किया ।
क्या गलती हो गई उस माँ से, जो तुमने आज,
उसके हृदय को तार – तार किया ।।
कवि :- मनमोहन कृष्ण
तारीख :- 19/09/2020
समय :- 10 : 09 ( रात्रि )
संंपर्क :- 9065388391