भुला पाऊंगा
देखना तू हद से मैं गूजर जाऊँगा
तेरे बगैर तुझे जी कर दिखाऊँगा ।
बड़ा नाज़ है न तुझे खूबसूरती पे
तेरे सामने तुझ से,मुकर जाऊँगा ।
अब देखना मेरी इन्तेहा-ए-बेरुखी
तेरी नज़रों से मैं खुद उतर जाऊँगा।
चाहा था जिस शीद्द्त से तुझे मैनें
उसी शीद्द्त से नफरत भी निभाउँगा।
ये अलग बात है अजय कुछ भी कहे
भला कैसे मैं उस को भुला पाऊँगा ।
-अजय प्रसाद