भुला ना पाओगे
तुम मुझे यूँ भुला ना पाओगे।
जब भी देखोगे घर में लगे आईने को
पीछे अपने मुझे खड़ा पाओगे।
लड़ना झगड़ना तो रोज़ की बातें हैं
दिल से इसे लगा ना पाओगे।
रात को खाने की मेज पर जब बैठोगे
अकेले खाना भी ना खा पाओगे।
सुबह उठ कर हाथ में चाय का कप लेकर
मेरे बगैर एक घूंट भी पी ना पाओगे
आँखें जब ये सोच के नम हो जाएंगी
रूंधे गले से मुझे तुम बुलाओगे
आवाज़ सुन कर तुम्हारी जब मैं आऊंगा
सबसे पहले गले मुझ को लगाओगे
तुम मुझे यूँ भुलाना पाओगे