भुजंग प्रयात छंद
भुजंगप्रयात छंद
12 वर्ण
यशोदा बुलाती कन्हैया कन्हैया।
सदा भागते वे परेशान मैया।
सदा कृष्ण के भाव में खेल खेला।
सदा दौड़ते कूदते हैं अकेला।
यशोदा पुकारे चली जा रही हैं।
कन्हैया कन्हैया कहीं जा रही हैं।
नहीं कृष्ण सुनते बढ़े जा रहे हैं।
सुदामा सुदामा कहे जा रहे हैं।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।