भीड़
6/1/2020
भीड़
बस एक भीड़
लिए उन्माद का रूप
खिलते खेलते घर को
कर गई तबाह
एक आह न निकल पाई
हुआ सब कुछ बर्बाद ।
क्या था कसूर
यूँ होना
किसी गलतफहमी का शिकार
बस हो गई थी एक दुर्घटना
हुआ सब खत्म
रचा गया तबाही का मंजर
थोड़ी सी सहानुभूति
पल दो पल का जोश
ठंडा हुआ था सारा आक्रोश
पूरा परिवार हुआ था तबाह।
एक भीड़
एक पल के उन्माद ने
रच दिया था
बर्बादियों का रेला
और सूनसान हुआ था
मेरे लिए जग का मेला…….
मीनाक्षी भटनागर
स्वरचित