भीड़ अजब रेला है भाई
भीड़ अजब रेला है भाई
दुनिया का मेला है भाई
उसको सबक मिला है अच्छा
जिसने दुःख झेला है भाई
गाँव में तो राजा थे हम भी
शहरों में ठेला है भाई
रास न आये यार सभी को
ये इश्क़ झमेला है भाई
नक़्श* बिगाड़ दिया कष्टों ने
दुःख ही दुःख झेला है भाई
मरकर भी शा’इर है ज़िन्दा
शब्दों का खेला है भाई
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*नक़्श — चेहरा-मोहरा; मुखाकृति
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